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Tanhai shayari two line
एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
वो हर बार मुझे छोड़ के चले जाते हैं तन्हा !!मैं मज़बूत बहुत हूँ लेकिन कोई पत्थर तो नहीं हूँ !!
हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद ना कर दे,तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर।
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,खामोशियो की आदत हो गयी है,न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,अगर है… तो एक मोहब्बत,जो इन तन्हाइयों से हो गई है ।
इंतज़ार करते करते एक और शाम बीत जाएगी !!तुम आज भी नहीं आओगे और तन्हाई जीत जाएगी !!
आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।
आज तेरी याद को सीने से लगा के रोये,खयालो में तुझे पास बुलाके रोये,हज़ार बार पुकारा तुझको तन्हाई में,हर बार तुझे पास न पाकर रोये।
हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे।
एक तेरे न रहने से बदल जाता है सब कुछ,कल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
उनके जाने के बाद,तन्हाई का सहारा मिला हैइसकी आगोश में आये, फिर निकलना नही आया.
गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ !!काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ !!
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे,मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें,मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।
और क्या लिखूअपनी जिंदगी के बारे में,जो जिंदगी हुआ करते थेवो ही बिछड़ गए।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
आज खुद की दुनिया वीरान है साकी,कभी मैं हँसता था औरों को देखकर।
चलते रहे अकेले इन राहो में हम और,वो खुद को हमसफ़र बता रहे थे।
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
Urdu poetry on tanhai
शाम-ए तन्हाई में इजाफा बेचैनी,एक तेरा ख्याल न जाना एक दूसरा तेरा जवाब न आना
कुछ कर गुजरने की चाह में कहाँ-कहाँ से गुजरे,अकेले ही नजर आये हम जहाँ-जहाँ से गुजरे।
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
बहुत सोचा बहुत समझा बहुत देर तक परखा,की तन्हा हो के जी लेना मोहब्बत से तो बहेतर है।
हम रहे ख़ामोशी से उनके साथ और,वो महफ़िल में तन्हा-तन्हा चिल्ला रहे थे|
तुझ पे खुल जाती मेरे रूह की तन्हाई भी,मेरी आँखों में कभी झांक के देखा होता
"तन्हाई में किसी न किसी की याद होती है,इसीलिए तन्हाई अपने आप में ही मुकम्मल होती है।"
मैं अपनी ख़ाक उठाकर कहाँ-कहाँ घूमूं,तेरे बगैर मेरी ज़िन्दगी की कीमत क्या है।
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं,जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
मेरी तन्हाई को मेरा शौक न समझना,बहुत प्यार से दिया है ये तोहफा किसी ने।
शोर और जल्दबाजी के बीच खुशी से जाओ,और याद करो कि मौन में क्या शांति हो सकती है।
अपने साये से भी ज्यादा यकीन है मुझे तुझ परअँधेरा में तुम तो मिल जाते हो साया नहीं मिलता।
हर दिन तन्हाई मैं गुजर जाता है,बस तेरी याद मैं गुजर जाता है।
❝ ना जाने इतनी मुहब्बत कहां से आई है उसके लिये;कि मेरा दिल भी उसकी खातिर मुझसे रूठ जाता है। ❞
इश्क़ के नशे डूबे तो ये जाना हमने फ़राज़ !की दर्द में तन्हाई नहीं होती.तन्हाई में दर्द होता है
ये बात और है के तक़दीर लिपट के रोई वरना !बाज़ू तो हमनें तुम्हे देख कर ही फैलाए थे !!
न मिले किसी का साथ तोहमें याद करना, तनहाई महसूस होतो हमे याद करना, खुशियां बाटने केलिए दोस्त हजारो रखना जब गमबाटना हो तो हमें याद करना
Tanhai shayari urdu
कोई दिल से सुनता नहीं,इसीलिए हम भी किसी से कुछ कहते नहीं।
उनके जाने के बाद,तन्हाई का सहारा मिला हैइसकी आगोश में आये, फिर निकलना नही आया.
कहां से अश्क के तारे निकलके आए हैंकहां से बर्फ के आतिश पिघलके आए हैंतेरे गाल गर्म हो रहे हैं जिस पानी सेवो किस आग का भेष बदलके आए हैं
तुम्हारी ”याद” के जब ज़ख्म भरने लगते हैं किसी बहाने तुम्हें_याद करने लगते है।
मै और मेरी तन्हाई शायरी
"मैं तन्हा हूँ शायद इसलिए,क्यों की दिल नहीं भरोसा टूटा है।"
बहारों के सीने में थी जो जलनचरागों से रोशन था जो चमनउजालों से तूने मुंह फेरकरअंधेरा ही सही, कुछ तो दिया
जो करीब थे वो जाने कब दूर हो गये_और ! जो दूर थे वो जाने कब करीब हो गये♥
तेरे होते हुए भी तन्हाई मिली है,वफ़ा करके भी देखो बुराई मिली है,जितनी दुआ की तुम्हें पाने की,उससे ज्यादा तेरी जुदाई मिली है
कितनी ही याद आएगी तेरी, एक दिन भूल जाऊंगा,देखना अब मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा।
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,आपके बिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।
इस तरह हम सुकून को महफूज़ कर लेते हैं,जब भी तन्हा होते हैं तुम्हें महसूस कर लेते हैं।
सुनो अब_लौट कर मत आना,ये तन्हाई अब हमें #तुमसे भी प्यारी लगती हैं।
वक़्त बहुत कुछ चीन लेता हैखैर मेरी तोह सिर्फ मुस्कराहटखुशियां और रातों की नींद थी।
वो अक्सर तन्हा छोड जाते हैंबस मेरा दर्द मेरे साथ रहाजाता है मैं हंसकर गले लग जाताहूं जब दर्द अकेला रह जाता है
कितनी अजीब है मेरे अंदर की तन्हाई भीहज़ारों अपने है मगर याद तुम ही आते हो।
Shayari on tanhai in hindi
भले भूल जाना आप हम में,हम आपको भूल ना पायेंगे,आपका ही साथ मांगेंगे सदा,हम जब भी जहां में आएंगे
दिल की तन्हाई को Post बना लेते हैदर्द जब हद से गुजरता हैं,तो Facebook चला लेते हैं
भूल सकते हो भूल जाओइजाजत है तुम्हे नाभूल पाओ तो लौट कर आना!!एक और भूल की इजाजत है तुम्हे !!
यादों की अर्थी तन्हाई का क़फ़न गम का तकिया,इंतज़ार तो सब हो गया बस नींद का आना बाक़ी हैं
तुम क्या गए कि वक़्त का अहसास मर गया,रातों को जागते रहे और दिन को सो गए।
"जबरन मैं किसी से ना हाल पूछता हूँ,और ना किसी को बताता हूँ। एक तुम ही तो थे जो मुझ से मेरा हाल पूछते थे।"
कितना अधूरा सा लगता हैजब बादल हो बारिश न हो,आँखें हो कोई ख्वाब न होऔर अपना हो पर पास न हो।
उस ने इस कदर तन्हा कर दिया मुझ कोके अब किसे को भी तन्हा देखा नहीं जा ता
करोड़ों की तरह हम भी उनके एक आशिक़ है,उनके बिना ही है, लेकिन उनकी यादों के साथ मुकम्मल है।
छोड कर जाना सोची समझी साजिश थी …वर्ना तुम तो झगड़ा भी कर सकती थी…!
कितना भी दुनिया के लिए हँस केजी लें हम, रुला देती है फिर भीकिसी की कमी कभी-कभी।
अर्ज किया हैतुमसे अब_कुछ रिश्ता ऐसा है,न नफरत है न, #इश्क़ पहले जैसा है।
जब कभी तुमतन्हा हो तोसिर्फ़ एक लम्हे कोये सोचना केमेरे जैसा ज़रफतुम में भी मौजूद है…
आज की रात… जो मेरी तरह तन्हा है,मैं किसी तरह गुजारूँगा चला जाऊंगा,तुम परेशाँ न हो बाब-ए-करम-वा न करो,और कुछ देर पुकारूंगा चला जाऊंगा।
अपनी तन्हाई में खलल यूँ डालूँ सारी रात…खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन?
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछकल धूप भी दीवार पे पूरी नहीं उतरी।
किसी को प्यार की सच्चाई मार डालेगी,किसी को दर्द की गहराई मार डालेगी,मोहब्बत में बिछड़ के कोई जी नहीं सकता,और बच गया तो उसे तन्हाई मार डालेगी।
चाँदनी बन के बरसने लगती हैंतेरी यादें मुझ पर,बड़ा ही दिलकश मेरीतनहाइयों का मंज़र होता है।
Quotes on tanhai
तन्हाई की आग में कहीं जल ही न जाऊँ,के अब तो कोई मेरे आशियाने को बचा ले
वो जो जी रहा है किसी के साथ के लिए !!वो एक एक शक़्स तसंहा मर रहा है !!
तुझसे वफादार ये तन्हाई है सनम !!एक पल के लिए मुझे अकेला नहीं करती !!
चलते-चलते अकेले अब थक गए हम,जो मंज़िल को जाये वो डगर चाहिए,तन्हाई का बोझ अब और उठता नहीं,अब हमको भी एक हमसफ़र चाहिए।
लोगों ने छीन ली है मेरी तन्हाई तक,इश्क आ पहुँचा है इलज़ाम से रुसवाई तक।
आज इतना तनहा महसूस किया खुद को !!जैसे लोग चले गए दफना कर मुझे !!
अब एक जगह बस गया तो अब ना तुझे उजाड़ेंगे ज़िन्दगी !!अब जैसा भी हाल हो बस तनहा गुज़रेंगे ज़िन्दगी !!
अकेला रहता हूँ अकेला जीता हूँ मैं !!महफिलों में नहीं जाता अकेला ही पीता हूँ मैं !!
ये दिल ना #किसीका अर्ज करता है नाही जिक्रना किसीको दर्ज और ”नाही” किसी की फ़िक्र..
हमारे गुजरने के बाद ये समुन्दर तुमसे पूछा करेगा कि !!आखिर कौन था वो शख्स जो तन्हाई में रोज़ तुम्हारा नाम लिखा करता था !!
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का,मैं एक कतरा हूँ तनहा तो बह नहीं सकता।
साथ दिया उसने भी मेरे साथ वालों का !!वो भी उन्ही की तरह मुझे अकेला कर गई !!
तेरी यादों को अपने दिल में हर पल मेहफ़ूज़ रखता हूँ !!कचहे लाखों के बीच भी बैठा रहूँ मैं पर काफी अकेला महसूस करता हूँ मैं !!
कहने को ही मैं अकेला हूं पर हम चार है !!एक मैं मेरी परछाई मेरी तन्हाई और तेरा एहसास !!
यादों में आपके तनहा बैठे हैं,आपकेबिना लबों की हँसी गँवा बैठे हैं,आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो,इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।
main aur meri tanhai shayari
तुम क्या अकेला छोड़ गए मुझे !!अब सभी से कहता फिरता हूँ मुझे अकेला छोड़ दो !!
तनहा होकर तेरी याद बहुत आती है !!और किसी के साथ रहूँ तो हर बात में तेरी बात आती है !!
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
तन्हा बैठा हूँ रात भर, ये तन्हाई मेरी साथ है,दिल की बातें कहूँ किसे, ज़िन्दगी ने क्या क्या खेल खिलाए हैं।
अर्ज किया हैदिल की बात_दिल में ना रखिये जनाब बता दीजिएअभी मौका है दो दिलों के बीच की #दीवार हटा दीजिए
बस वही जान सकता है मेरी तन्हाई का आलम !!जिसने जिन्दगी में किसी को पाने से पहले खोया है !!
रात की चुप्पी में सुनता हूँ, तन्हाई की बातें कहता हूँ,दिल के अंदर बसी ये अलग दुनिया, जहां हर रोज़ बसता हूँ।
तेरा पहलू तेरे दिल की तरह आबाद रहे,तुझपे गुजरे न क़यामत शब-ए-तन्हाई की।
इस तन्हाई का हम पे बड़ा एहसान हैसाहब न देती ये साथ अपना तो जानेहम किधर जाते.
शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात,रुक सी गयी है उम्र-ए-गुरेजां तेरे बगैर।